Home व्रत कथाएँ Amla Ekadashi | आमलकी एकादशी का महत्व | अमला एकादशी पावन कथा

Amla Ekadashi | आमलकी एकादशी का महत्व | अमला एकादशी पावन कथा

0

आज आमलकी एकादशी है और आमलकी एकादशी को अमला एकादशी भी कहते हैं। आमला एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा है हिंदू धर्म के अनुसार। आमला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। जो लोग एकादशी को मानते हैं उनके लिए आमला एकादशी का महत्व बहुत ज्यादा मायने रखता है। हम आपको आज इस पोस्ट में अमला एकादशी के बारे में जानकारी दे रहे हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी आती है। इसे एकादशी तिथि को आंवला और रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल आमलकी एकादशी व्रत 14 मार्च यानी आज है।

आमला एकादशी के दिन इस मंत्र का जाप जरूर करें –

आप लोग सभी जानते हैं कि एकादशी के दिन किसी भी प्रकार का अनाज नहीं खाना जाता है। सभी प्रकार के अनाज खाना वर्जित है। जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं वे लोग एकादशी के महत्व को बहुत अच्छी तरीके से समझते हैं। आमला एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। आंवले के पानी से स्नान भी किया जाता है। आंवले का सेवन भी किया जाता है। अगर अमला एकादशी है तो आंवले का दान भी एकादशी के दिन बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है।

अमला एकादशी के दिन जब भी आप पूजा करें उस समय आपको को ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करना है। इस मंत्र का जाप इसलिए किया जाता है क्योंकि एकादशी मां भगवान श्री विष्णु का ही अवतार है। आप ॐ भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का भी जप कर सकते हैं।

आज 14 मार्च है और आज के दिन ही एकादशी का व्रत मनाया जा रहा है जब भी एकादशी के व्रत में दसवां दिन लगता है उस दिन एकादशी का व्रत नहीं मनाया जाता है। जैसे ही द्वादशी का दिन प्रारंभ होता है उस दिन एकादशी का व्रत रखा जाता है और सभी श्रद्धालु भक्त एकादशी मां का व्रत करते हैं. पूरे साल में 22 से 24 एकादशी मनाई जाती है। आज 14 मार्च है और आज के दिन आमला एकादशी व्रत बहुत ही हर्षोल्लास मनाया जा रहा हैं।

क्यों मनाते हैं अमला एकादशी पावन कथा जानिए –

वैसे तो बहुत सारी कहानियां आपको आमला एकादशी के बारे में इंटरनेट पर मिल जाएंगे लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी बता रहे हैं जो जो आमला एकादशी पर सबसे ज्यादा प्रचलित है. एक राज्य में एक राजा हुआ करता था जो बहुत ही अच्छे व्यवहार वाला राजा था।

उस राजा के राज्य में सभी लोग और छोटे-छोटे बच्चे भी एकादशी का व्रत किया करते थे। 1 दिन की बात है उस राजा के राज्य में एक मंदिर में एकादशी के दिन रात को जागरण हो रहा था और वहां पर कीर्तन हो रहे थे। तभी अचानक वहां पर एक ऐसा व्यक्ति आया जो कि चोरी करता था लूटमार करता था और लोगों को मारता था।

अपने घर से परेशान होकर अब मंदिर में आकर बैठ गया और वहां पर चल रहे कीर्तन में रात भर जाएगा और भगवान विष्णु की आराधना के गीत सुनें। वह एक पापी व्यक्ति था इसलिए जब वह सुबह अपने घर गया और जैसे ही उसने खाना खाया वैसे ही उसकी मृत्यु हो गई।

उसको स्वर्ग का स्थान मिला क्योंकि उसने रात को एकादशी माता की कथा सुनी। जब वह व्यक्ति मर गया उसके बाद उसका जन्म उसी राजा के यहां हुआ जो बहुत ही श्रद्धालु और एकादशी माता का व्रत करने वाला व्यक्ति था।

बालक बड़ा हो गया तो उस राज्य का राजा बन गया और 1 दिन आमला एकादशी के दिन वह राजा जंगल भ्रमण पर निकला। जब वह राजा चलते चलते थक गया तो एक आंवले के वृक्ष के नीचे लेट के विश्राम करने लगा। आमला के वृक्ष के नीचे राजा सोने लगा और उस दिन आमला एकादशी थी।

अचानक उस रास्ते से राजा के कुछ शत्रु जा रहे थे उन्होंने देखा कि राजा पेड़ के नीचे सो रहा है उन्होंने अपने अस्र उसको निकालकर राजा को सोते हुए मारने की साजिश की जैसे ही वह लोग राजा के करीब गए और उस राजा को मारने की कोशिश की वैसे ही उस राजा के शरीर से माता आमला एकादशी प्रकट हुई और उन्होंने उन सभी शत्रुओं को मार दिया और उनके खून की धाराएं उस जमीन पर बहने लगी।

जब राजा सो कर उठा तो उसने देखा कि उसके शत्रु उसके चारों तरफ मरे पड़े हैं, उसने जोर से आवाज लगाई कि मेरे शत्रुओं को किसने मारा और मुझे किसने बचाया, तभी अचानक एक आकाशवाणी हुई और आकाशवाणी में एक जोर से आवाज आई कि तुम्हारे शत्रुओं का वध आमला एकादशी ने किया है। राजा खुशी-खुशी अपने महल वापस चला गया। महल पहुंच कर माता आमला एकादशी का व्रत पूरा किया और गरीबों में दान किया।

आमला एकादशी का व्रत कैसे रखें –

आमला एकादशी के व्रत रखने के लिए आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि एकादशी के दिन या एकादशी तिथि प्रारंभ होने के बाद आपको किसी भी प्रकार का अनाज नहीं खाना है। सभी प्रकार के अनाज खाना वर्जित है। जैसे ही द्वादशी तिथि प्रारंभ होती है उसी समय से एकादशी का व्रत शुरु हो जाता है वैसे जैसे ही एकादशी तिथि प्रारंभ होती है उसी समय से आपको अनाज का त्याग कर देना चाहिए।

सुबह प्रातः उठकर नित्य कर्म करने के बाद आंवला एकादशी के दिन आंवले को काटकर पानी में डाल दे कुछ देर के बाद उसी पानी से स्नान करें साबुन या किसी भी केमिकल का इस्तेमाल उस दिन ना करें नहाने के लिए। अच्छी तरीके से पूजन करें कुलदीप धूप अगरबत्ती सभी लगाएं और एकादशी का आवाहन करें और भगवान विष्णु की पूजा अच्छी तरीके से करें। अगर आप कर सकते हैं तो उस दिन मंदिर अवश्य जाएं और अगर आपके बस में हैं तो कुछ दान भी जरूर दें

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

इस मंत्र का जाप दिन में कई बार करें कोशिश करें कि 108 बार माला का जप इस मंत्र के साथ करें।

हम आपकी जानकारी के लिए एक और बात बता देते हैं यह आध्यात्म से रिलेटेड जानकारी है हम किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी इस जानकारी से रिलेटेड नहीं लेते हैं हमारा सम्मान सभी तरीके के धर्म के लिए है हम सिर्फ आपको एक त्यौहार एक पर्व के बारे में जानकारी दे रहे हैं अगर आप हिंदू धर्म के व्यक्ति विशेष हैं तो आप अपने धर्म का पालन करें और व्रत करें और भगवान का स्मरण करें। यहां पर दी गई जानकारी बहुत सारे लेखों द्वारा और आध्यात्मिक किताबों से जुड़ी हुई है।

हम आशा करते हैं आज की जानकारी आपको अच्छी लगी होगी माता आमला एकादशी आप सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें और आप सभी को खुशहाल और एक अच्छा जीवन जीने की राह पर लेकर जाएं।

Exit mobile version