Ganesh Chaturthi 2020 : पूजा विधि, मुहूर्त, पूजन सामग्री | Complete Information of Ganesh Chaturthi Pooja

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Ganesh Chaturthi
Ganesh Chaturthi 2020

Ganesh Chaturthi पर आप सभी को गणेश ही का आशीर्वाद प्राप्त हो ऐसी हम आप सभी के लिए प्रार्थना करते हैं। Ganesh Chaturthi 2020 इस बार कोरोना काल में मनाई जा रही हैं तो आप सभी को अपना ध्यान रखना भी बहुत जरुरी हैं। कोशिश करें बिना बाहर जाए ही आप सभी लोग घर पर ही Ganesh Chaturthi मनाये। Ganesh Chaturthi ११ दिनों का बहुत पावन पर्व हैं और इस Ganesh Chaturthi पर हम सभी को घर पर रह कर ही अपनी पूजा करनी चाहिए। आप सभी को मालूम हैं कोरोना की बजह से पूरी दुनिया को बहुत परेशानियों का सामना करना पढ़ रहा हैं। कोरोना की बजह से बहुत सारे लोगो की नौकरी चली गयी, बहुत सारे लोगो के बिज़नेस बंद हो गए और बहुत सारे लोगो की जान भी गयी इस कोरोना बीमारी की बजह से। ऐसे में इस साल के सभी त्यौहारों की चमक भी हलकी हैं लेकिन हम आप सभी निवेदन करते हैं आप सही रहेंगे और आने वाला समय फिर से अच्छा आएगा। इस बार आप घर पर रह कर अपनों के साथ मिलकर Ganesh Chaturthi का त्यौहार मनाये। इस पोस्ट में हम आप को Ganesh Chaturthi की पूजा कैसे करनी हैं , सही महूर्त, और गणेश की पूजा करते समय किन किन बातों का ध्यान आप सभी को रखना हैं पूरी जानकारी दे रहे हैं। यहाँ तक की हम इस पोस्ट में गणेश की आरती भी आप के साथ साझा कर रहे हैं। बिना किसी देरी के आप को पूरी जानकारी बता देते हैं Ganesh Chaturthi के बारे में।

Ganesh Chaturthi 2020 पूजा विधि

Ganesh Chaturthi की पूजा विधि बहुत ही आसान हैं और कोई भी व्यक्ति इस पूजा अर्चना को कर सकता हैं। गणेश जी की पूजा अर्चना को बहुत मन से करना चाहियें ताकि बो आप पर कृपा करें और आप का जीवन सुखमय हों। गणेश चतुर्थी गणेश जी का जन्मदिन के रूप में मनाई जाती हैं छोटे से गणेश जी सभी के घरों में ११ दिनों के लिए आते हैं और अपनी कृपा सभी पर करते हैं। तो आप को गणेश चतुर्थी की पूजा कैसे करनी हैं ध्यान से पढ़ें।

Ganesha Chaturthi poojan vidhi
  • सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करना हैं ताजे पानी से।
  • उसके बाद साफ़ कपडे या नए कपडे पहन लेने हैं।
  • फिर गणेश की के आसान को लगाना हैं जिसमें एक लाल रंग के कपडे को बिछाना हैं और उसपर गणपति बाप्पा को बिराजमान करना हैं।
  • फूल , कपूर , दीप, धूप , दूव घास, हवन सामिग्री, माला, गंगाजल, जनेऊ, कलावा, थोड़े से चावल, सिंदूर को एक थाली में रख लीजिये। और फिर गणेश जी पर फूल माला, घूप , दीप अर्चना करनी हैं। चावल और सिंदूर से तिलक करना हैं गंगा जल को उसने ऊपर डालना हैं और अभी सामान को गंगा जल से पवित्र करना हैं।
  • गणेश मन्त्र उच्चारण , गणेश चालीसा, गणेश आरती करनी हैं।
  • शंख और घंटी जरुर बजाये इससे श्री गणेश की बहुत खुश होते हैं और प्रसंन होते हैं।

Ganesh Chaturthi 2020 पूजा का सही मुहूर्त

Ganesh Chaturthi 2020 पूजा का सही मुहूर्त हम आप को बताते हैं और आप इस सही मुहूर्त पर श्री गणेश जी की पूजा अर्चना जरुर कर लें। Ganesh Chaturthi तिथि 21 अगस्त दिन शुक्रवार की रात 11 बजकर 02 मिनट से 22 अगस्त दिन शनिवार को शाम 07 बजकर 57 मिनट तक है।

Ganesh Chaturthi में चन्द्रमा को न देखने का समय काल

तक वर्जित चंद्र दर्शन का समय – सुबह 09 बजकर 07 मिनट से रात 09:26 तक Ganesh Chaturthi तिथि आरंभ – 21 अगस्त, शुक्रवार – रात 11 बजकर 02 मिनट से Ganesh Chaturthi तिथि समाप्त – 22 अगस्त, शनिवार – शाम 07 बजकर 57 मिनट तक

Ganesh Chaturthi कब मनाई जाती हैं

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की Ganesh Chaturthi तिथि को गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी होती है। घर में खुशियाँ बनी रहे और घर में लक्ष्मी जी का आगमन रहे और आपके घर में सुख शांति बनी रहे इसलिए आप सभी इस बार Ganesh Chaturthi जरुर मनाये।

गणेश चतुर्थी पूजन सामग्री Ganesh Chaturthi Pujan Samagri

श्री गणेश जी की स्‍थापना से पहले पूजा की सारी सामग्री एकत्रित कर लें। पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, गणेश प्रतिमा, जल कलश, पंचामृत, लाल कपड़ा, रोली, अक्षत, कलावा, जनेऊ, गंगाजल, इलाइची-लौंग, सुपारी, चांदी का वर्क, नारियल, सुपारी, पंचमेवा, घी-कपूर की व्‍यवस्‍था कर लें। लेक‍िन ध्‍यान रखें क‍ि श्री गणेश जी को तुलसी दल व तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके स्‍थान पर गणेश जी को शुद्ध स्‍थान से चुनी हुई दूर्वा घास जि‍से कि अच्‍छे तरीके से धो ल‍िया हो, अर्पित करें।

गणेश पूजन मंत्र कौन से हैं

गणेश चतुर्थी पर श्री गणपति जी का पूजन करते समय आप इस मन्त्र का जप करें आप को सुख शांति श्री गणपति बाप्पा जरूर देंगे और अपनी कृपा आप पर करें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

श्री गणेश चालीसा (Shri Ganesha Chalisa in Hindi)

ganesh chalisa

॥दोहा॥

जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥जय जय जय गणपति गणराजू।मंगल भरण करण शुभ काजू ॥

॥चौपाई॥

जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥1॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ॥धनि शिवसुवन षडानन भ्राता । गौरी ललन विश्वविख्याता ॥ऋद्घिसिद्घि तव चंवर सुधारे । मूषक वाहन सोहत द्घारे ॥कहौ जन्म शुभकथा तुम्हारी । अति शुचि पावन मंगलकारी ॥2॥

एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी ॥भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा ॥अतिथि जानि कै गौरि सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥3॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्घि विशाला । बिना गर्भ धारण, यहि काला ॥गणनायक, गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम, रुप भगवाना ॥अस कहि अन्तर्धान रुप है । पलना पर बालक स्वरुप है ॥बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना ॥4॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ॥निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ॥5॥

गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो । उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो ॥कहन लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहाऊ ॥पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा । बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥6॥

गिरिजा गिरीं विकल है धरणी । सो दुख दशा गयो नहीं वरणी ॥हाहाकार मच्यो कैलाशा । शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा ॥तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटि चक्र सो गज शिर लाये ॥बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥7॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे ॥बुद्घ परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई ॥चरण मातुपितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥8॥

तुम्हरी महिमा बुद्घि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ॥मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दर्वासा ॥अब प्रभु दया दीन पर कीजै । अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ॥9॥

॥दोहा॥

श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश ॥

गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा ..
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

गणेश जी पूजन भजन आरती

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

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