Mahavir Jayanti 2020 | बहुत ही खास हैं भगवान् महावीर जी के तीन आधारभूत सिद्धांत

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mahavir jayanti 2020 date
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भगवान् महावीर जी का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र महा पक्ष की 13 वीं तिथि को हुआ था। इसलिए जैन धर्म के अनुयायी इसी तिथि पर Mahavir Jayanti मानते हैं। इस बार यह तिथि 6 अप्रैल (Mahavir Jayanti 2020 Date) सोमवार को हैं। भगवान् महावीर जी को जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर के रूप में पूजा जाता हैं। आप की जानकारी के लिए हम आप को बता देते हैं इनके बचपन का नाम वर्धमान था।

Mahavir jayanti 2020

चलिए आज हम श्री भगवान् महावीर जी के जीवन से कुछ सम्बंधित कुछ खास बातों के बारे में जानते हैं।

राजमहल का त्याग कर सत्य की खोज में की साधना (Mahavir Jayanti 2020) –

श्री भगवान् महावीर का जन्म एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनके पिताजी जा नाम सिद्धार्ध और माता का नाम प्रियकारिणी था। श्री महावीर जी के बचपन का नाम वर्धमान था। उन्होंने तीस वर्ष की उम्र में ही राजमहल के वैभवपूर्ण जीवन का परित्याग कर दिया था। और फिर बो अपनी साधना करने के लिए निकल पड़े। श्री महावीर जी ने बहुत ही कठोर तप किया और अपने मन, इच्छाओं, विकारों पर अपना काबू कर लिया। बस तभी से ही वह वर्धमान से श्री भगवान् महावीर कहलाने लगे।

लेकिन इतना ही नहीं उन्होंने अपना जीवन कल्याण और सेवा में लगा दिया। उन्होंने समाज से कुप्रथाएं, अन्धविश्वाश को खत्म करने में अपना पूरा योगदान दिया।

बहुत ही खास हैं भगवान् महावीर जी के तीन आधारभूत सिद्धांत (Mahavir Jayanti 2020) –

श्री भगवन महावीर जी के तीन आधारभूत सिद्धांत हैं जो कुछ इस प्रकार हैं.
१ – सबसे पहला सिद्धांत अहिंसा
२ – दूसरा सिद्धांत सत्य
३ – अनेकांत अस्‍तेय हैं।
ये तीनों सिद्धांत लोगों को जीवन कैसे जीना हैं ये सिखातें हैं। आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में भी गर कोई व्यक्ति इन तीनो सिद्धांतों को आज भी अपना ले तो बो सुखी जीवन जी सकता हैं और अपने जीवन कोखुशहाल बना सकता हैं।
आप की जानकारी के लिए बता दें श्री भगवान् महावीर जी मन कर्म बचन, किसी भी माध्यम से की गयी हिंसा का निषेध करतें हैं।

श्री भगवान् महावीर की नजर में अहिंशा का स्वरुप (Mahavir Jayanti 2020)-

भगवान् महावीर ने अहिंसा के बारे में बताया की केवल जीवों की रक्षा कर लेना या किसी भी प्राणी को किसी भी प्रकार से तख़लीफ़ न देना ही अहिंसा हैं। बल्कि यदि किसी को हमारी मदद की जरुरत हैं तो हमें उसकी मदद कर सकते हों और फिर भी मदद न कर रहे हों ये भी एक तरह ही हिंसा ही हैं।

भगवान महावीर जी कैसे कहलाये तीर्थंकर –

महावीर ने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका इन चार तीर्थों की स्थापना की पर इस श्री भगवान् महावीर जी तीर्थंकर कहलाये।
आप की जानकारी के लिए हम आप को बता दें यहाँ पर तीर्थ का अर्थ लौकिक तीथों से बिलकुल भी नहीं हैं। यहाँ पर तीर्थ का अर्थ हैं अहिंसा, सत्य दूसरों की सहायता की साधना द्वारा अपनी आत्मा को तीर्थ की तरह पावन बनाने का।