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Papmochani Ekadashi 2023 Katha पापमोचिनी एकादशी : पाप और संकटों का होगा नाश

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Papmochani Ekadashi 2022

Papmochani Ekadashi 2023 : एकादशी व्रत का महात्म्य चारों दिशाओं में फैला हुआ है। एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते है ऐसी अनोखी मान्यता है इस एकादशी व्रत की। हिंदू पंचांग के अनुसार,चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। Papmochani Ekadashi 2022 को 18 मार्च के दिन व्रत रखा जाएगा और व्रत पारण समय 19 मार्च सुबह 6:15 से लेकर 8:43 मिनट तक है। आप को Papmochani Ekadashi 2023 व्रत को रखने पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। हम आप को Papmochani Ekadashi Vrat Katha भी यहाँ बता रहे हैं। 17 मार्च तारीख 2023 को शाम 6 बजे से एकादशी तिथि प्रारम्भ हो रही है। जो भी भक्तगण एकादशी का व्रत रखते है उनके लिए कुछ नियम हैं।

पापमोचनी एकादशी व्रत 28 मार्च दिन सोमवार को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं और पापमोचनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करते हैं। इस व्रत कथा के श्रवण या पाठ करने से समस्त पापों का नाश होता है और संकट दूर होते हैं।

पापमोचनी एकादशी व्रत की कथा स्वयं ब्रह्मा जी ने नारद जी को सुनाई थी। इस साल पापमोचनी एकादशी की तिथि 18 मार्च को शाम 06:04 बजे शुरु हो रहा है और इसका समापन 19 मार्च को शाम 04:15 बजे होगा। जो लोग व्रत रखेंगे, वे व्रत का पारण अगले दिन सुबह सूर्योदय के बाद करेंगे। आइए जानते हैं पापमोचनी एकादशी व्रत कथा के बारे में।

Papmochani Ekadashi 2023 नियम –

  1. एकादशी व्रत जिस दिन प्रारम्भ होने से एक दिन पहले ही अन्न का त्याग कर देना चाहिए। किसी भी प्रकार का अन्न एकादशी के व्रत में खाना वर्जित है।
  2. एकादशी के दिन भगवान विष्णु श्री हरी की पूजा अर्चना बहुत मन लगाकर करनी चाहिए। एकादशी के दिन किसी भी तरह की बुराई, गाली, या किसी भी तरह के गलत काम को नहीं करना चाहिए।
  3. एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के साथ साथ श्री गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा करनी चाहिए।
  4. सिर्फ और सिर्फ श्री हरी का नाम जाप करना चाहिए और तुलसी के पौधे के पास रात्रि में एक दीपक जरूर जलाना चाहिए।
  5. तुलसी के पौधे को एकादशी के दिन जल का दान नहीं देना चाहिए क्यूंकि तुलसी माता एकादशी का निर्जला व्रत रखती है।

Papmochani Ekadashi 2023 Katha:

भगवान श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर ने चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी पापमोचनी एकादशी के बारे में बताने को कहा और तब श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया पापमोचनी एकादशी जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी आती है उसको पापमोचनी एकादशी के नाम से जानते हैं इस व्रत को करने से समस्त पाप मिट जाते हैं।

श्री कृष्ण ने यह भी बताया कि इस व्रत को करने से हत्या, चोरी, डकैती, मारकाट, लूट जैसे समस्त पाप मिट जाते हैं। ऐसा अद्भुत चमत्कारी एकादशी पापमोचनी व्रत है। उन्होंने युधिष्ठिर को बताया कि ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को पापमोचनी एकादशी की कथा सुनाई थी जो कि इस प्रकार है –

भगवान श्री कृष्ण ने ब्रह्मा जी द्वारा नारद मुनि को सुनाई गई कथा का वाचन शुरू किया। एक चैत्ररथ नाम का वन था इस वन में इन इंद्रदेव अपनी अप्सराओं और देवताओं के साथ विचरण किया करते थे। एक समय की बात है एक बहुत तेजस्वी ऋषि का नाम च्यवन ऋषि, उनके पुत्र मेधावी ऋषि उसी चैत्ररथ वन में श्री भगवान महादेव शिव शंकर की तपस्या में लीन थे। अत्याधिक आयु नहीं थी, इसलिए जवान और सुंदर वेशभूषा वाले ऋषि थे।

उसी समय एक अप्सरा जिसका नाम मंजुघोषा था, अप्सरा अत्याधिक सुंदर और काम इच्छा से भरी हुई थी। उसकी नजर तपस्या करते हुए ऋषि पर पड़ी। और वह काम इच्छा से प्रेरित हो उन को मोहित करने की कोशिश करने लगी।

उसी समय उसी चैत्ररथ वन से भगवान कामदेव गुजर रहे थे उन्होंने उसकी मंशा को समझा और उसकी मदद करने लगे कुछ समय कोशिश करने के बाद मेधावी ऋषि उस मंजुघोषा अप्सरा से मोहित हो गए। और उसके साथ काम इच्छा में पूर्ण होकर विचरण करने लगे।

जब कुछ समय बीत गया तब हमें ज्ञात हुआ कि उनसे एक बहुत बड़ी गलती हो गई है और उनको अपने ऊपर बहुत शर्म आने लगी और अप्सरा को देखकर वह बहुत क्रोधित भी हो गए।

क्रोध में आकर उन्होंने मंजुघोषा अप्सरा को राक्षसनी और कुरूप होने का श्राप दे दिया। वह मंजुघोषा अप्सरा बहुत दुखी हो गई। एक समय नारद मुनि उसी रास्ते से गुजर रहे थे जिस रास्ते पर वह अप्सरा मंजुघोषा रहने लगी थी उसने नारद मुनि को देख अपनी पूरी व्यथा बताई श्री नारद मुनि ने मंजुघोषा को पापमोचनी एकादशी का पूरा विधान सुनाया और उसको उस व्रत करने की सलाह दी।

मंजुघोषा ने नारद मुनि के द्वारा बताए गए विधि विधान से पापमोचनी एकादशी का व्रत किया। मंजूषा को उसके श्राप से मुक्ति मिल गई और वह फिर से बहुत ही सुंदर अप्सरा बन गई और अंत में उस को स्वर्ग में स्थान मिला। पापमोचनी एकादशी की कथा यहीं समाप्त होती है। पापमोचनी एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक मान्यता रखता है।

Ekadashi 2023 आरती

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. gkidea.in इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

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