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क्या है शरीयत का कानून जानिए | शरिया कानून

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शरीयत का कानून

पूरी दुनिया को पता चल ही चुका है तालिबान से अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर लिया है और जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा किया है तभी से शरिया कानून फिर से गरमा गया है। आज हम आप के साथ शरीयत के कानून के बारे में बात करने वाले है और आप को बताने वाले है इस कानून के बारे में। इस पोस्ट के माध्यम से आज आप शरीयत का कानून होता है क्या और कैसे काम करता है आप को पता चलेगा। तो सबसे पहला सवाल उठता है की ये शरीयत का कानून है क्या और क्यों पूरी दुनिया और खासकर भारत देश इसके खिलाप रहता है।

शरीयत का कानून क्या है ?

शरीयत कानून के द्वारा इस्लाम की हुकूमत को चलाया जाता रहा है। शरीयत कानून से हिसाब से सभी किये जाते है। सभी काम शरीयत कानून के हिसाब से इस्लाम के लोगो को करने पड़ते है। शरीयत के कानून को कुरान, हदीस, और बहुत सारी इस्लाम की किताबों के आधार पर बनाया गया है।

शरीयत के कानून का दुरुपयोग –

शरीयत का कानून यानी अल्लाह का कानून। इस्लाम के मुताबिक शरीयत का कानून लोगो को जीने, रहने, उठने, बैठने का सही तरीका सिखाता है यानि जीवन में क्या करना चाहियें और क्या नहीं करना चाहियें। लेकिन कुछ इस्लाम की कई ऐसे हुकूमते है जो शरिया कानून का अपनी मनमर्जी के नियम बना कर लोगो पर थोप देती है और उसको इस्लाम का नाम दे दिया जाता है। सबसे बड़ा मुद्दा औरतों की इज्जत करना उनको समाज में सही जगह मिलना भी शामिल होता है। आज से २० साल पहले जब तालिबान अफगानिस्तान पर हुकूमत करता था तब तालिबान ने शरीयत का कानून का हवाला देते हुए औरतों पर बहुत जुल्म किये।

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  • जैसे औरतों को अपने शरीर को पूरा का पूरा ढकना है उनके शरीर का कोई भी हिस्सा नजर नहीं आना चाहियें।
  • औरतों को अकेले घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं थी और उन्हें घर से बहार जाना है तो उनके साथ कोई छोटा बच्चा होना चाहियें जिसकी उम्र कम से कम १० साल और या फिर घर का कोई व्यक्ति हो तभी घर से बाहर जा सकती है।
  • १२ साल की उम्र की लड़की जब हो जाती थी तभी से उसको घर से निकलने पर पाबंधी लग जाती थी, न तो बो पढ़ सकती थी और न ही स्कूल जा सकती थी।
  • महिलायों को कोई भी काम करने का अधिकार नहीं था।

ये कुछ पहलु थे जो शरिया के कानून के नाम पर तालिबान औरतों पर थोपता था। अगर इन नियमो की खिलापत की जाती थी तो सरेआम कोड़ों से पीटा जाता था और यहाँ तक की पत्थर से मरकर सजा दी जाती थी। बैसे तो तालिबान ने कहा है की शरीयत के कानून के हिसाब से महिलाओं को भी काम करने का मौका मिलेगा। लेकिन तालिबानियों के हिसाब से शरीयत में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है तो ये महिलाओं को काम कैसे करने देंगे।

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