Home व्रत कथाएँ षट्तिला एकादशी (shatila ekadashi) का 6 प्रकार के तिलदान का कनेक्शन

षट्तिला एकादशी (shatila ekadashi) का 6 प्रकार के तिलदान का कनेक्शन

माघ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को  षट्तिला एकादशी नाम से जाना जाता है। सम्पूर्ण माघ मास में तिल के दान का और तिल के उपयोग का सर्वाधिक महत्व बताया गया है। माघ मास सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत में पड़ता है ऐसे में इस माह में तिल का दान करने से आपको पुण्य की प्राप्ति होती है। षट् का अर्थ है 6 और तिला का अर्थ होता है तिल । इस दिन 6 रूप से तिल का दान करना फलदाई माना जाता है।  इसीलिए इस दिन को षट्तिला एकादशी अथवा तिलकुट एकादशी के नाम से जाना जाता है।

2024 में कब है षट्तिला एकादशी (shatila ekadashi)

वर्ष 2024 में षट्तिला एकादशी का व्रत 6 फरवरी 2024 के दिन आ रहा है । माघ मास में आने वाली इस एकादशी के लिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि समेत समस्त जानकारी आज हम आपको उपलब्ध कराने वाले हैं । आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे की षट्तिला व्रत का महत्व क्या होता है? और इस व्रत के दौरान कौन सी वस्तुओं का दान और सेवन करना चाहिए?

षट्तिला एकादशी का महत्व shattila ekadashi significance

षट्तिला एकादशी षट्तिला एकादशी अथवा तिलकुट एकादशी

इस एकादशी का महत्त्व स्वयं भगवान विष्णु ने पदम् पुराण में नारद मुनि को बताया था, जिसमें भगवान विष्णु ने नारद मुनि से कहा कि षट्तिला एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से व्रत करने वाले व्यक्ति को मुक्ति और वैभव की प्राप्ति होती है। वही तिल का दान करने से व्यक्ति के घर में कभी भी अन्न धन की कमी नहीं होती। इसीलिए षट्तिला एकादशी के दिन व्रत और तिल का दान अवश्य करना चाहिए।

षट्तिला एकादशी के दिन पूजन विधि shattila ekadashi pooja vidhi

  • इस एकादशी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठना चाहिए और  स्नानादि से निवृत होकर उन्हें भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
  • इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को 6 रूप में तिल का दान करना चाहिए।
  • इसी के साथ उड़द और तिल की खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग भी लगाना चाहिए।
  • व्रत करने वाला व्यक्ति को सायं काल तिल की आहुति देते हुए 108 बार ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र से हवन भी करना चाहिए जिससे निश्चित रूप से ही एकादशी का शुभ फल उसे प्राप्त होगा।

Shattila ekadashi vrat katha

Shattila ekadashi vrat katha

षट्तिला एकादशी पर तिल का 6 रूप में इस्तेमाल किस तरह करना चाहिए

  • षट् का मतलब 6 और तिला का अर्थ तिल होता है। इसके शाब्दिक अर्थ से ही पता चलता है कि इस दिन 6 प्रकार से तिल का दान करना चाहिए। सबसे पहले नहाने के पानी में तिल डालकर स्नान करना चाहिए।
  • व्रत करने वाले व्यक्ति को तिल का उबटन लगाना चाहिए ।
  • तिल के ही पाउडर का व्यक्ति को तिलक लगाना चाहिए।
  • इस दिन व्यक्ति को तिल मिश्रित जल का ही सेवन करना चाहिए।
  • भोजन में भी तिल से बने प्रसाद का ही सेवन करना चाहिए।
  • वही हवन में भी तिल की आहुति निश्चित रूप से देनी चाहिए ।
  • इसके अलावा व्रत करने वाला व्यक्ति ब्राह्मण और गरीब को भी तिल से बनी वस्तुओं का दान कर सकता है।
  • इस प्रकार षट्तिला एकादशी के दिन 6 प्रकार से किए गए तिल के उपयोग से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और स्वर्ग में स्थान प्रदान करते हैं।

वर्ष 2024 में षट्तिला एकादशी का शुभ मुहूर्त

2024 में षट्तिला एकादशी 6 फरवरी 2024 को मंगलवार के दिन रखी जाएगी। इस दिन का शुभ मुहूर्त इस प्रकार से होगा :

  • पंचांग के अनुसार माघ माह में पढ़ने वाली एकादशी का मुहूर्त 5 फरवरी 2024 को शाम 5:24 पर शुरू हो जाएगा और शुभ मुहूर्त 6 फरवरी 2024 के दिन 4 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
  • वे सभी लोग जो षट्तिला एकादशी का व्रत करने वाले हैं वह सभी 6 फरवरी 2024 को सुबह 9:51 से दोपहर 1:57 के बीच में पूजा अर्चना कर सकते हैं ।
  • इसके साथ व्रत के पारण करने का शुभ समय अगले दिन 7 फरवरी 2024 को सुबह  7:26 से 9:18:00 तक रहेगा ।
  • एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है और 7 फरवरी 2024 को द्वादशी तिथि दोपहर 2:02 पर समाप्त हो जाएगी इसीलिए 2:02 से पहले व्रतधारी को व्रत का पारण कर लेना होगा।

षट्तिला एकादशी व्रत से मिलने वाला फल

  • षट्तिला एकादशी करने पर मिलने वाले फल की बात करें तो षट्तिला एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में सदैव सुख शांति बनी रहती है।
  • यदि व्यक्ति विवाहित है तो उनका वैवाहिक जीवन सुखमय और खुशहाल बना रहता है।
  • इस व्रत की कथा सुनने और पढ़ने से मोक्ष प्राप्त होता है ।
  • वहीं इस व्रत को करने वाले कि  संतान सदैव निरोगी और स्वस्थ रहती है।

Shattila ekadashi aarti

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

निष्कर्ष

इस प्रकार 6 फरवरी 2024 मंगलवार के दिन षट्तिला एकादशी का पुण्य व्रत कर आप इसका महाफल प्राप्त कर सकते हैं।

Exit mobile version